जन्मदिन के बाद, जब मैंने महिंद्रा सर से मिलकर धन्यवाद दिया, तो वह पल अविस्मरणीय था। "सर, आपने जो भरोसा और हौसला दिया, वो मेरे लिए बहुत मायने रखता है!" यह सफर सिर्फ एक कार पाने का नहीं, बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने का था।
फोकोमेलिया बीमारी के कारण बिना हाथों के जन्मी, मैं दुनिया की पहली महिला पैरा-तीरंदाजी चैंपियन बनी। आज अपनी महिंद्रा स्कॉर्पियो के साथ, यह सफर और भी खास हो गया!
❤️ सपने देखो, मेहनत करो, और उड़ान भरो! ✨
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