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भगवान शिव की इच्छा मात्र से ही इस सृष्टि का रचना हुई है

 

शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की इच्छा मात्र से ही इस सृष्टि का रचना हुई है। शिवपुराण में महादेव का एक ऐसा चमत्कारी मंत्र बताया गया है जिसके जपने मात्र से ही मृत्यु के करीब इंसान पुन: स्वस्थ हो सकता है।

इस मंत्र से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसके जप के लिए सभी नियमों और विधि-विधान का पालन किया जाना आवश्यक होता है। शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र के मात्र जप से ही सभी बीमारियों और कष्टों का निवारण हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के करीब है और इसके नाम से महामृत्युंजय मंत्र का जप कराया जाए तो वह पूर्ण स्वस्थ हो सकता है।

ये है महामृत्युंजय मंत्र: ऊँ त्र्यम्बकं यहामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मुत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।

यदि कोई व्यक्ति भविष्य में होने वाली किसी विपदा से बचना चाहता है, किसी ज्योतिषीय दोष का उपचार कराना चाहता है, पैसों की तंगी का निवारण करना चाहता है, लंबी आयु जीना चाहता है तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए या किसी ब्राह्मण से मंत्र जप करवाना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तब देवता और दानवों के बीच युद्ध हुआ था। इस असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने मारे गए सभी दैत्यों को इसी मंत्र के प्रभाव से पुर्नजीवित किया था। अत: इस मंत्र में इतना अधिक प्रभाव है कि यह मृत्यु को भी टाल सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र का जप विधि पूर्वक किया जाना चाहिए। इसके लिए किसी जानकर से परामर्श किया जा सकता है। इस मंत्र का जप हम किसी अन्य व्यक्ति के लिए भी कर सकते हैं और कोई दूसरा व्यक्ति हमारे लिए मंत्र जप कर सकता है। इस मंत्र के जप की संख्या कम से कम 108 अवश्य होनी चाहिए।

मंत्र जप के समय कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए। मंत्र जप करने के लिए साफ-स्वच्छ एवं सफेद रंग के कपड़े पहनेंगे तो यह श्रेष्ठ रहेगा। इसके अतिरिक्त कुश का आसन होना चाहिए। मंत्र जप की संख्या ध्यान रखने के लिए रूद्राक्ष की माला का उपयोग किया जाना चाहिए।

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